कांग्रेस उपाध्यक्ष
बनने के बाद राहुल गांधी ने अपने पहले भाषण में पार्टी के कामकाज में जबर्दस्त
बदलाव के संकेत दिए। उनका यह भाषण बेहद भावुक भी रहा। राहुल ने भाषण की शुरुआत
संगठन को मजूबत करने, टिकट
बंटवारे के ढंग को बदलने, हर वर्कर की आवाज सुनने से की
तो उसे खत्म भावुकता के साथ किया। भाषण के आखिर में राहुल ने उपाध्यक्ष बनने के
बाद कमरे में आकर सोनिया के भावुक होने और दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद का
वाकया सुनाया। राहुल ने बताया कि उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद कल रात उनकी मां उनके
कमरे में आकर रोईं। उन्होंने बताया कि मां इसलिए रोईं क्योंकि वह यह बात समझती हैं
कि जो सत्ता हर कोई हासिल करना चाहता है, वह 'जहर' की तरह है। वह ऐसा समझती हैं क्योंकि वह
इससे निर्लिप्त हैं। उन्होंने इसके सही इस्तेमाल की बात कही। राहुल का भाषण सुनने
के बाद सोनिया गांधी भी भावुक हो गईं।
'आज सुबह मैं चार बजे उठा। मैं बालकनी में गया। वहां काफी अंधेरा था और ठंड थी। उस समय नई जिम्मेदारी के एहसास के साथ कई बातें मेरे जेहन में आईं। इनमें से कुछ मैं आपके साथ शेयर करूंगा। इसमें एक बात 'उम्मीद' की है, तो दूसरी 'पावर' की।
पहले उम्मीद की बात। मैं जब बच्चा था तो मुझे बैडमिंटन बहुत पसंद था। यह खेल इस जटिल दुनिया में मुझे बैलेंस देता था। मैं अपनी दादी के घर में उनकी सुरक्षा में लगे दो पुलिसवालों से इसे सीखा। वे मेरी दादी की सुरक्षा का जिम्मा संभालते थे। वे मेरे दोस्त हो गए थे। एक दिन उन्होंने मेरी दादी को मार दिया और मेरे जीवन का बैलेंस छीन लिया
'आज सुबह मैं चार बजे उठा। मैं बालकनी में गया। वहां काफी अंधेरा था और ठंड थी। उस समय नई जिम्मेदारी के एहसास के साथ कई बातें मेरे जेहन में आईं। इनमें से कुछ मैं आपके साथ शेयर करूंगा। इसमें एक बात 'उम्मीद' की है, तो दूसरी 'पावर' की।
पहले उम्मीद की बात। मैं जब बच्चा था तो मुझे बैडमिंटन बहुत पसंद था। यह खेल इस जटिल दुनिया में मुझे बैलेंस देता था। मैं अपनी दादी के घर में उनकी सुरक्षा में लगे दो पुलिसवालों से इसे सीखा। वे मेरी दादी की सुरक्षा का जिम्मा संभालते थे। वे मेरे दोस्त हो गए थे। एक दिन उन्होंने मेरी दादी को मार दिया और मेरे जीवन का बैलेंस छीन लिया

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