Thursday, February 18, 2016

देशद्रोह के मामले ने अन्‍य छात्रों और पूर्व छात्रों के लिए मुसीबत



जेएनयू के कुछ छात्रों पर चल रहे देशद्रोह के मामले ने अन्‍य छात्रों और पूर्व छात्रों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। एबीवीपी और अन्‍य छात्र संगठनों के प्रदर्शन से मुनिरका में मकान मालिकों ने जेएनयू में पढ़ने वाले छात्रों से घर खाली करने को कहा है।
मुनिरका इलाके में इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र बड़ी संख्‍या में रहते हैं। कुछ मकान मालिक बहाना बनाकर छात्रों से घर खाली कराने को कह रहे हैं, वहीं कुछ लोग छात्रों से कह रहे हैं कि वे मुनिरका इलाके से कुछ दिनों के लिए चले जाएं या फिर यूनिवर्सिटी के साथ अपने जुड़ाव के बारे में कम से कम नहीं बताएं।
मंत्री और राजनेता लगातार जेएनयू को देश विरोधी गतिविधि‍यों का गढ़ बता रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब श‍िक्षाविद और जेएनयू के फैकल्‍टी लगातार कह रहे हैं कि वे इस मामले में पूरे संस्‍थान को बदनाम नहीं करें। यह स्थिति अन्‍य छात्रों के मन में डर पैदा कर रही है।
अभिषेक नाम के एक छात्र ने कहा कि मुनिरका में स्‍थानीय लोग जानते हैं कि हम जेएनयू में पढ़ते हैं या जेएनयू के पूर्व छात्र रहे हैं। हमारे मकान मालिक ने हमें घर खाली करने को कहा है। उसने बताया कि उसके दो दोस्‍तों ने 12 फरवरी को अपना कमरा खाली कर दिया। मकान मालिक छात्रों को उनका सिक्‍योरिटी डिपॉजिट भी नहीं वापस दे रहे हैं।

Sunday, February 7, 2016

अब वॉट्सऐप नौकरी पाने का जरिया भी बन गया



अब वॉट्सऐप नौकरी पाने का जरिया भी बन गया है। मुंबई के जेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन के छह छात्रों ने वॉट्सऐप के जरिए घर बैठे इंटरव्यू दिए और उन्हें नौकरी मिल भी गई। देश में यह अपने तरह का पहला मामला है।
छात्रों से गुड़गांव स्थित एक नामी एडवरटाइजिंग कंपनी ने संपर्क साधा था। कंपनी ने 'द इंटरर्नशिप' नामक वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर छात्रों को उसमें जोड़ा और घर बैठे ही इंटरव्यू देने की सुविधा मुहैया कराई।
कंपनी का मानना है कि घर बैठे ही इंटरव्यू देना छात्रों के लिए सुविधाजनक होगा। साथ ही आने-जाने का खर्च और एनर्जी भी बचेगी।
Skype और Google Hangouts के साथ ही LinkedIn, Twitter और Facebook जैसी सोशलनेटवर्किंग साइट्स की मदद से कैंपस रिक्रूटमेंट किया जाता रहा है।
नौकरी पाने वाले छात्रों में से एक साईं पदवाल के मुताबिक, यह बहुत रोमांचक था। हमें पता ही नहीं चला कि हमारा इंटरव्यू हो रहा है। हमसे `Be like Bill' सीरीज पर मेमेस् बनाने को कहा गया था। इस प्लेटफॉर्म की मदद से हमने यह काम बखूबी कर दिखाया।
वॉट्सऐप के जरिए इंटरव्यू लेने वाले जेडब्ल्यूटी के सीनियर क्रिएटिव डायरेक्टर बी. दासगुप्ता कहते हैं, रिज्यूम से बमुश्किल पता चलता है कि छात्र कितने क्रिएटिव हैं। एक क्रिएटिव पर्सन तब अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, जब उसे उसके माहौल में अकेला छोड़ दिया जाए। वॉट्सऐप के माध्यम से हमने यही करने की कोशिश की।

Friday, February 5, 2016

पुरुषों के समान मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति



आज का दिन नारी शक्ति के लिए बहुत खास है। महिलाओं के संघर्ष का ही परिणाम है कि शनि शिंगणापुर की चार सौ साल पुरानी परंपरा खत्म हुई है और उन्हें पुरुषों के समान मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति मिली है।
खबर है कि मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को मंदिर में पूजा करने करनी अनुमति दे दी है। ट्रस्टियों के मुताबिक, शनि की शिला के पास तो फिलहाल पुरुष भी नहीं जाते हैं लेकिन अगर पुरुष जाएंगे तो महिलाओं को भी जाने की इजाजत मिलेगी।
ट्रस्टियों ने शनि भगवान की पूजा करने के लिए महिलाओं को आमंत्रित किया है और कहा है कि महिलाएं भी वैसे ही पूजा करेंगी जैसे सभी लोग करते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को यहां अब कोई नहीं रोकेगा। वो पूजा कर सकती हैं। इस मामले को लेकर स्वामी दीपांकर ने मंदिर के ट्रस्टियों और सीईओ से मुलाकात की थी।
क्या था शनि शिंगणापुर विवाद
परंपरा के मुताबिक, शनि मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनि देव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने या पूजन करने की इजाजत नहीं है। ट्रस्ट की मानें तो बॉम्बे हाईकोर्ट भी इसे सही ठहरा चुका है। 29 नबंवर, 2015 को एक महिला के शनिदेव के चबूतरे पर जाकर पूजा करने के बाद काफी विवाद हुआ। शिंगणापुर में पंचायत हुई और मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था।
वहीं, भूमाता ब्रिगेड और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की मेंबर रंजना गवांदे ने इसे शनि मंदिर में क्रांतिकारी घटना बताकर स्वागत किया था। 15 साल पहले भी शनि मंदिर पूजा को लेकर महिलाओं ने आवाज बुलंद की थी। तब जाने-माने रंगकर्मी डॉ. श्रीराम लागू इस मुहिम से जुड़े थे।
विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ?
भूमाता ब्रिगेड की करीब 700 महिलाओं को पुलिस ने शिंगणापुर से 75 किलोमीटर पहले रोका और हिरासत में ले लिया। भूमाता ब्रिगेड की महिलाएं तृप्ति देसाई के साथ 6 बसों में पुणे से शनि मंदिर के लिए निकली थीं। जहां वे तेल चढ़ाकर परंपरा तोड़ने वाली थीं। इसके पहले मंदिर में पूजा के एलान के बाद गांव के लोगों ने मीटिंग बुलाई। भूमाता ब्रिगेड को रोकने के लिए गांव की महिलाओं ने भी आगे आईं।