Monday, December 31, 2012

नव वर्ष 2013 की शुभकामनायें


2012 को अलविदा --  तथा नव वर्ष 2013  की शुभकामनायें । इसी उम्मीद के साथ कि नव वर्ष महिला उत्पीड़न मुक्त हो । 

Thursday, December 20, 2012

खेती के मामले में भी गुजरात का रेकॉर्ड बेहतरीन


रोजगार, बिजली और इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में गुजरात की मिसाल ने मोदी को विकास पुरुष का दर्जा दे दिया है। खेती के मामले में भी गुजरात का रेकॉर्ड बेहतरीन है।
मोदी ने एक जुझारू, दबंग और अक्खड़ प्रशासक की स्टाइल से जनता को अपना मुरीद बना लिया है। वे गुजरात के मैचो मैन हैं, जो किसी से नहीं दबते, यहां तक कि अपनी बिरादरी से भी नहीं। वे सख्त बोलने वाले गार्जियन की तरह आदर से देखे जाते हैं। करप्शन के मामले में उनका बेदाग रेकॉर्ड और परिवारवाद से दूरी उन्हें दूसरे नेताओं से अलग कर देते हैं।
मोदी ने गुजराती वोटर को दिल्ली की सियासत पर राज करने का सपना दिखाया है। गुजराती अस्मिता उनकी असरदार थीम रही है। रीजनलिजम का इस तरह इस्तेमाल किसी दूसरे नेता ने नहीं किया। उन्होंने अपने वोटर को ताकतवर होने का अहसास दिलाया है, जो तरक्की का अगला कदम है। गुजरात की इज्जत के नाम पर वे बाहरी हमले का डर दिखाते रहते हैं। यह हमला दिल्ली की सत्ता की तरफ से है, जिसका चेहरा कांग्रेस है।
पूरे देश की तरह गुजरात में भी युवा वोटरों की तादाद बढ़ रही है। इस वोटर के लिए 2002 के दंगे ज्यादा मायने नहीं रखते। उसके लिए तरक्की सबसे अहम है। यह कंज्यूमर जेनरेशन पॉलिटिक्स को एक सर्विस मानती है और मोदी का कस्टमर केयर डिपार्टमेंट बढिय़ा काम कर रहा है। यूथ वोटर गांधी-नेहरू से भी खुद को जुड़ा हुआ महसूस नहीं करता, जिसकी याद राहुल गांधी दिलाने की नाकाम कोशिश करते रहे।
डी-लिमिटेशन के बाद गुजरात में शहरी सीटों की तादाद बढ़ गई। शहरी मिडल क्लास में मोदी हिट हैं और इस बार यह लगाव कुछ और बढ़ गया है। वैसे भी बीजेपी को शहरी पार्टी माना जाता रहा है। इस जीत के बाद यह सवाल उठाया भी जाने लगा है कि क्या मोदी के जरिए बीजेपी उस शहरी भारत को फिर से कैप्चर कर सकती है, जिसने इंडिया शाइनिंग के नारे से चिढ़कर उसका साथ छोड़ दिया था। मोदी पूरे भारत में बीजेपी के पुराने वोटर की वापसी करा सकते हैं।

मोदी को उन इलाकों से भी ठीक-ठाक सपोर्ट मिलता दिखा है, जो खिलाफ माने जा रहे थे, जैसे मुस्लिम बहुल और आदिवासी इलाके। हालांकि इस पॉइंट की पूरी छानबीन होनी बाकी है, लेकिन मुमकिन है कि तरक्की के मोदी मंत्र ने उन समुदायों में भी उन्हें एक हद तक पसंदीदा बना दिया हो। बिना किसी का नाम लिए पुरानी गलतियों के लिए मोदी का अब माफी मांगना और आगे कोई गलती न करने का वादा इस बदले हुए माहौल का असर हो सकता है।

Sunday, December 16, 2012

अगले 4-5 महीनों में देश के इससबसे लंबे ब्रिज के निर्माण का काम शुरू


मुंबई के शिवड़ी से न्हावा शेवा तक समंदर के बीचोबीच बननेवाले 22 किमी लंबे ट्रांस हाबॅर लिंक का काम आहिस्ता -आहिस्ता बढ़ने लगा है। पिछले दिनों वित्त मंत्रालय कीनिगहबानी में गठित हाई पॉवर कमिटी द्वारा वायबिलिटी गैपफंडिंग का प्रस्ताव मंजूर करने से इसका काम आगे बढ़ा है औरअब इंतजार है तो एमएमआरडीए द्वारा टेंडर निकालने का।यह तय हो गया है कि 9,630 करोड़ रुपये की लागत वाले इसब्रिज के निर्माण के लिए केंद्र सरकार 20 प्रतिशत अर्थात1,926 करोड़ रुपये केंद्र सरकार बतौर वायबिलिटी गैप फंडपेश करेगी। 

उल्लेखनीय
 यह है कि इस प्रॉजेक्ट के काम में कोई आगे देरी ना हो , इसके लिए खुद मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री कोपत्र लिखकर इस पर ध्यान देने का अनुरोध किया है। उन्होंने आशंका जताई है कि कुछ और एजेंसियां केंद्रीय स्तरपर इसमें अड़ंगा डालकर प्रॉजेक्ट के कामकाज में व्यवधान डाल सकती हैं। गौरतलब है कि हाल ही में जेएनपीटीने इस प्रॉजेक्ट पर अपनी तरफ से कुछ आपत्तियां दर्ज की हैं। 

देश
 के सबसे बड़े और बेशकीमती प्रॉजेक्ट के ताजातरीन डिवेलपमेंट के बारे में एमएमआरडीए के एक अधिकारीने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा गठित इंपॉवर्ड कमिटी ने ट्रांसहार्बर लिंक के लिए वीजीएफ की संस्तुति दे दी हैऔर अब हम इस ब्रिज के निर्माण के लिए सबसे अहम कदम ' टेंडरिंग ' का काम शुरू करने वाले हैं। उन्होंनेबताया कि हम इस साल की शुरुआत में ही 5 कंपनियों के समूह का चयन कर चुके हैं और उन्हें ब्रिज की डिजाइनऔर अपनी जरूरतों को पेश करने को कह दिया गया है। उन्होंने बताया कि अगले 4-5 महीनों में देश के इससबसे लंबे ब्रिज के निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा। 

Wednesday, December 5, 2012

एनसीपी भी अब महाराष्ट्र में विदेशी किराना खेलने के खिलाफ उठ खड़ी हुई


एसपी-बीएसपी की 'दोस्ती' की बदौलत सरकार ने भले ही लोकसभा में अपनी नैय्या पार लगा ली पर रीटेल में एफडीआई का लागू होना दूर की कौड़ी लग रही है। एसपी-बीएसपी ने लोकसभा से वॉकआउट करके सरकार की मदद जरूर की लेकिन वे पहले ही कह चुकी हैं कि उत्तर प्रदेश में इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी। सरकार के साथ लोकसभा में वोट करने वाली सहयोगी पार्टी एनसीपी भी अब महाराष्ट्र में विदेशी किराना खेलने के खिलाफ उठ खड़ी हुई है। 

एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष मधुकर पिचड़ ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज को चिट्ठी लिखकर कहा है कि राज्य में विदेशी किराना खोलने की अनुमति नहीं दी जाए। उन्होंने लिखा है कि एनसीपी को इस पर एतराज है, लिहाजा समन्वय समिति में इस पर चर्चा जरूरी है।
 

वैसे, भी विदेशी रीटेल स्टोर उन शहरों में ही खोले जा सकते हैं जहां की आबादी 10 लाख से ज्यादा हैं। देश में कुल 51 शहर ही ऐसे हैं। ज्यादातर गैर-कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें पहले से ही इसके खिलाफ हैं। कांग्रेस के शासन वाला केरल भी पहले ही कह चुका है कि वह अपने यहां इसे लागू नहीं करेगा। ऐसे में फिलहाल 18 शहरों में ही विदेशी रीटेल चेन खोलने का विकल्प बचा था। इन 18 शहरों में से 10 महाराष्ट्र में ही हैं। एनसीपी की आपत्ति के बाद महाराष्ट्र में भी फिलहाल विदेशी किराना फंसता दिख रहा है।
 
लोकसभा में बहस के दौरान भी पार्टियों का अंतर्विरोध साफ दिख रहा था। 18 में 14 राजनीतिक दलों ने बहस के दौरान इसका विरोध किया। 21 में 11 राज्य इससे सहमत हैं और सात विरोध में। एनडीए शासित तीन राज्यों गुजरात, हिमाचल और पंजाब ने लिखित में इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया है लेकिन मौखिक रूप से कई बार कह चुके हैं कि वे इसके लिए तैयार नहीं हैं। इस फैसले पर इतनी ज्यादा सियासत हो गई है कि कांग्रेस की भी कोई राज्य सरकार शायद ही तत्काल इसे लागू करेगी