Monday, April 27, 2015

बिल्डिंग भूकंप के दौरान ज्यादा सेफ

आप यदि एनसीआर के किसी भी शहर की हाईराइज बिल्डिंग में रह रहे हैं तो आपका घर भूकंप में सेफ है। अनधिकृत कॉलोनियों में बनी चार या छह मंजिल की बिल्डिंग के बजाय नोएडा अथॉरिटी की ओर से अलॉट ग्रुप हाऊसिंग प्लॉट में बन रही बिल्डिंग भूकंप के दौरान ज्यादा सेफ हैं। जानकारों के मुताबिक इन बिल्डिंगों का डिजाइन स्ट्रक्चरल इंजीनियर से अप्रूव्ड कराना जरूरी होता है। साथ ही जब कंप्लीशन सर्टिफिकेट लेना होता है, तब भी स्ट्रक्चरल इंजीनियर और फायर डिपार्टमेंट का सर्टिफिकेट जरूरी होता है।
भवन निर्माण तकनीक के एक्सपर्ट आर्किटेक्ट हरीश त्रिपाठी कहते हैं कि जब भी कोई हाईराइज बिल्डिंग तैयार होती है तो उसकी लंबाई के मुताबिक बेस के लिए नींव में कंक्रीट का प्लेटफॉर्म तैयार किया जाता है। यह हाईट के अनुसार ही लंबा और चौड़ा होता है। ऐसी बिल्डिंगों में नैशनल बिल्डिंग कोड का ध्यान रखा जाता है। मैप जितने भी फ्लोर के हिसाब से पास हुआ हो, बिल्डिंग भी उससे ज्यादा की फ्लोर का नहीं होनी चाहिए। यदि कोई बिल्डर रिवाइज्ड नक्शा पास कराना चाहता है तो उसे बुकिंग कराने वाले इन्वेस्टरों से एनओसी लेनी होती है। यदि कोई बिल्डर मनमाने तरीके से एक्स्ट्रा फ्लोर बनाता अथॉरिटी अलॉटमेंट कैंसल कर सकती है।
नोएडा अथॉरिटी में पूर्व चीफ आर्किटेक्ट प्लैनर राजपाल कौशिक का कहना है कि कोई भी हाईराइज बिल्डिंग बनाते वक्त मिट्टी की टेस्टिंग और पानी की कंडिशन देखी जाती है। इनमें बिल्डर भूकंप रोधी तकनीक इस्तेमाल करते हैं। जापान में अब कोई हाईराइज बिल्डिंग नहीं गिरती जबकि वहां खूब भूकंप खूब आते हैं। यही वजह है कि हाईराइज बिल्डिंगें ज्यादा सेफ हैं।

क्रेडाई के मेंबर आरके अरोड़ा का कहना है कि सभी हाईराइज बिल्डिंगों को भूकंपरोधी बनाना जरूरी है। इस तरह की बिल्डिंग बनाने के लिए फाऊंडेशन को मजबूत करने की दिशा में सबसे अहम काम किया जाता है। मिट्टी की टेस्टिंग के बाद पाइलिंग की जाती है। फाऊंडेशन का बेस मजबूत करने के बाद इसे फ्रेम स्ट्रक्चर में बनाकर बिल्डिंग का निर्माण किया जाता है। इसमें अब जम्प फोम और माईवान (मलेशियन टेक्नॉलजी) का इस्तेमाल किया जाता है। अब स्लैब और दीवार को एक साथ मिलाकर शेयर वॉल बनाई जाती है जो सेफ्टी और स्ट्रक्चर के लिहाज से बेहद मजबूत है। स्ट्रक्चरल इंजीनियर से बिल्डिंग का वेट कराने के बाद इसे आईआईटी रूड़की या दिल्ली से नई तकनीक के हिसाब से सर्टिफाई भी कराया जाता है।

Friday, April 24, 2015

किसान की फिक्र नहीं है, सब अपनी राजनीति कर रहे हैं

बुधवार को जंतर-मंतर पर खुदकुशी करने वाले किसान के मुद्दे को लेकर लोकसभा में हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों को स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कड़ी फटकार लगाई । उन्होंने कहा कि किसी को भी किसान की फिक्र नहीं है, सब अपनी राजनीति कर रहे हैं।
गुरुवार को विपक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रश्नकाल स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है और इस पर स्पीकर को फैसला करना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

स्पीकर सुमित्रा महाजन ने चर्चा के लिए 12 बजे का वक्त तय किया। इसके बाद सदन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई, मगर विपक्ष के सांसद लगातार नारेबाजी करते रहे। स्पीकर ने कहा कि सदस्य शांति बनाए रखें, मगर 'होश में आओ, होश में आओ' की नारेबाजी जारी रही।

हंगामा न थमता देखर स्पीकर ने सांसदों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा, 'कल बचाने गए थे (किसान को)? अब दिखा रहे हो....।' बावजूद इसके सांसदों पर कोई असर नहीं हुआ। इस पर उन्होंने कहा, 'किसी को भी गरीब किसान की कोई फिक्र नहीं है। सब अपनी राजनीति करने में लगे हुए हैं।

Wednesday, April 15, 2015

हरकी पैड़ी (हरिद्वार में गंगा घाट) पर गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगनी चाहिए

गोरक्षा पीठाधीश्वर और गोरखपुर के सांसद महंत आदित्यनाथ ने कहा कि हरकी पैड़ी (हरिद्वार में गंगा घाट) पर गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगनी चाहिए । उन्होंने टिहरी झील में नौकायन के दौरान शराब और मांस परोसने के मसले पर भी मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात करने का आश्वासन भी दिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'टिहरी झील को पर्यटन स्थल नहीं बनाया जा सकता। यह झील वास्तव में गंगा है और यहां सनातन मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए।'
महंत आदित्यनाथ ने पत्रकारों से कहा कि गंगा की पवित्रता और अविरलता के लिए हर संभव कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हरकी पैड़ी पर बायलॉज लागू करवाने के लिए वह मुख्यमंत्री से शीघ्र मुलाकात करेंगे ताकि गैर-हिंदुओं का यहां प्रवेश न हो। राम मंदिर मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अयोध्या की पहचान राम मंदिर से है और मंदिर बनकर रहेगा। उन्होंने साक्षी महाराज के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़े नियम बनने चाहिए। उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान की ओर से लगातार दिए जा रहे कथित हिंदू विरोधी बयानों की उन्होंने निंदा की। 
इससे पहले मंगलवार को योगी महासभा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'गंगा में व्यापार की इजाजत नहीं दी जा सकती। टिहरी झील के किनारे मांस आदि परोसा जा रहा है। योगी महासभा इसका विरोध करेगी।' आदित्यनाथ ने कहा कि नासिक कुंभ के अवसर पर गुरु गोरखनाथ झंडी यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा नागपंचमी से शुरू होकर शिवरात्रि तक (नासिक से मंगलौर, कर्नाटक तक) चलेगी।
आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि जो सांसद नफरत फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें संसद में रहने का अधिकार नहीं। उन्होंने कहा कि आदित्यनाथ की संसद सदस्यता भी छीनी जानी चाहिए। किशोर उपाध्याय ने कहा कि नफरत के बयान देकर आदित्यनाथ ने देवभूमि का अपमान किया है। उन्होंने कहा, 'योगी आदित्यनाथ खुद उत्तराखंड के रहने वाले हैं। इसके बावजूद वे मातृभूमि का उपयोग जहर बोने के लिए कर रहे हैं।

Monday, April 6, 2015

दुनिया में सबसे अधिक फ्यूल एफिशंट- मोटरसाइकल

हीरो मोटोकॉर्प ने ऐसी मोटरसाइकल डिवेलप की है, जिसे दुनिया में सबसे अधिक फ्यूल एफिशंट बताया जा रहा है । स्प्लेंडर आईस्मार्ट नाम की इस न्यू जेनरेशन बाइक को कमर्शल लॉन्च के लिए टेस्ट और सर्टिफाई किया गया है। केंद्र सरकार की एजेंसी इंटरनैशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नॉलजी (आईकैट) की ओर से मार्च में सर्टिफाइड फ्यूल एफिशंसी (एफई) वैल्यू के मुताबिक, इस बाइक ने एक लीटर पेट्रोल में 102.50 किलोमीटर की माइलेज दी है। कंपनी ने दिल्ली में एलॉय वील वाले मॉडल का एक्स शोरूम प्राइस 51,100 रुपये और स्पोक वील मॉडल का प्राइस 50 हजार रुपये रखा है।

Saturday, April 4, 2015

जायकेदार फास्ट फूड का ट्रेन में मजा

अब पिज्जा हट और केएफसी के लजीज और जायकेदार फास्ट फूड का आप ट्रेन में मजा ले सकेंगे। रेलवे के लिए ई-टिकटिंग, कैटरिंग और टूरिजम के काम को संभालने वाली आईआरसीटीसी ने ई-कैटरिंग के लिए पिज्जा हट और केएफसी के आवेदन को मंजूरी दे दी है।
इन वेंडर्स के खाने के लिए यात्रा की तिथि से 48 घंटे पहले आईआरसीटीसी वेबसाइट के माध्यम से ऑर्डर करना होगा। ऑर्डर बुक होने के बाद वेंडर की ओर से कस्टमर के मोबाइल फोन पर एक पासवर्ड भेजा जाएगा जिसे डिलिवरी के समय बताना जरूरी होगा। 12 स्टेशनों आगरा छावनी, अलवर, जयपुर, अंबाला, जालंधर, मथुरा जंक्शन, मुजफ्फरनगर, न्यू दिल्ली, पठानकोट, वापी, भरूच एवं वडोदरा पर पिज्जा डिलिवर करने के लिए फरवरी में आईआरसीटीसी ने देश में डोमिनोस पिज्ज ब्रैंड चलाने वाली कंपनी से डील की।
आईआरसीटीसी के चेयरमैन और एमडी ए.के.मनोचा ने ईटी से बातचीत में बताया, 'शुरू में यह सर्विस उन ट्रेनों में चालू होग जिनमें पैंट्री कार नहीं है। बाद में इस सर्विस का विस्तार उन ट्रेनों तक भी किया जाएगा जिनमें पैंट्री कार होती है जैसे राजधानी और दुरंतो। उन्होंने बताया कि पिज्जा हट और केएफसी से खाने की डिलिवरी के लिए और भी स्थानों को चिह्नित किया जा रहा है। लंबी दूरी की ट्रेनों में इस प्रकार के सिस्टम को चालू करने में समस्या यह है कि खाने की कीमत यात्री के भाड़े में शामिल होती है।
योजना के अनुसार फूड चेंस ऑनलाइन दिए गए खाने के ऑर्डर को सीधे डिलिवर कर सकते हैं या ट्रेनों में डिलिवर करने के लिए रेलवे के फूड प्लाजा नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मनोचा ने बताया, ''अगर पिज्जा हट जैसी कंपनी का फूड प्लाजा में आउटलेट नहीं होगा ते यह शहर में स्टेशन के समीप अपने सामान्य आउटलेट से डिलिवरी कर सकती है।

Thursday, April 2, 2015

कई चीजों के ठेके दशकों से फाइनल नहीं

मेट्रो मैन के नाम से मशहूर  श्रीधरन ने कहा है कि भारतीय रेलवे को सामानों की खरीदारी में हर साल कम से कम 10 हजार करोड़ रुपए का चूना लग रहा है । श्रीधरन की रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीद अधिकारों को विकेंद्रित करने यानी निचले स्तर तक देने से इस लूट को रोका जा सकता है।
श्रीधरन ने रेलवे के जनरल मैनेजर्स को वित्तीय अधिकार देने और अधिकारों के विकेंद्रीकरण संबंधी अपनी फाइनल रिपोर्ट में कहा है कि इस समय खरीद अधिकार सीमित होने से रेलवे का बहुत ज्यादा पैसा महज कुछ हाथों में है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
श्रीधरन की अध्यक्षता वाली इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारियों की भी राय ली है। मौजूदा खरीद प्रक्रिया का विश्लेषण कर कमिटी इस नतीजे पर पहुंची है कि जवाबदेही तय करने और अधिकारों को विकेंद्रित करने से रेलवे की सालाना आय में भारी अंतर आ जाएगा। इससे हर साल सामान की खरीद में करीब 5 हजार करोड़ रुपए और कामों के ठेके देने में भी इतने ही रुपयों की बचत होगी।
कमिटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट 15 मार्च को दाखिल की थी। इसमें कहा गया है कि बोर्ड को कोई भी वित्तीय फैसले नहीं लेने चाहिए। खुद अपनी जरूरत के सामान की खरीदारी भी उत्तरी रेलवे से करानी चाहिए। ये अधिकार जनरल मैनेजर और निचले स्तर के अधिकारियों को दिए जाने की भी सिफारिश की गई है।
आपको बता दें कि रेलवे देश में सबसे ज्यादा खरीदारी करने वाली दूसरी सबसे बड़ी एजेंसी है। इससे ज्यादा की खरीदारी सिर्फ डिफेंस के सामान की होती है। रेलवे हर साल खरीदारी पर करीब 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करती है, जिसमें से करीब आधी रकम से रेलवे बोर्ड खरीदारी करता है।
पिछले साल नवंबर में श्रीधरन के प्रारंभिक रिपोर्ट देने के बाद से ही रेलवे ने अधिकारों के विकेंद्रीकरण का काम शुरू कर दिया है। अब श्रीधरन कमिटी ने कहा है कि रेलवे बोर्ड का गठन रेलवे की नीतियां, योजनाएं, नियम और सिद्धांतों को बनाने, इनकी जांच करने और रेलवे को दिशानिर्देश देने को हुआ था, लेकिन आज बोर्ड इनमें से कोई भी काम नहीं कर रहा है।
कमिटी ने विस्तार से विश्लेषण के लिए डीजल, कंक्रीट स्लीपर्स, 53-s सीमेंट जैसे सामनों की खरीद प्रक्रिया का भी अध्धयन किया। उनके मुताबिक, रेलवे देश में सबसे ज्यादा डीजल की खरीद करता है और पिछले 15 महीनों से इसका नया ठेका ही फाइनल नहीं हुआ है। कई चीजों के ठेके तो दशकों से फाइनल नहीं हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, हालात इतने खराब हो गए हैं कि रेलवे के कामकाज की इस व्यवस्था को अच्छे से झकझोरने की जरूरत है, जिससे प्रभावी और बेहतर बिजनस के फैसले लिए जा सकें। इसमें कहा गया है कि बोर्ड को फील्ड में मौजूद अपने शीर्ष अधिकारियों यानी जनरल मैनेजर्स की बिजनस की क्षमता पर ही शक है।
इसके अलावा रिपोर्ट में रेलवे की ढुलाई और यात्रियों की संख्या (हवाई और सड़क के मुकाबले) कम होने पर भी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1960-61 के 82 फीसदी (टन के हिसाब से) के मुकाबले आज रेलवे से केवल 30 फीसदी ढुलाई होती है। श्रीधरन ने कहा है कि शायद ही रेलवे के मुकाबले किसी और भारतीय संस्था की इतनी ज्यादा समितियों ने समीक्षा की होगी, लेकिन विडंबना यह है कि सारी सिफारिशें आज भी धूल फांक रही हैं।