Wednesday, February 19, 2014

विधायक सदन में पायजामा भी उतारते तो उन्हें ज्यादा अच्छा लगता

उत्तर प्रदेश विधानसभा में आरएलडी के दो विधायकों ने कपड़े उतारकर मर्यादा तोड़ी, तो अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आजम खान ने भी पीछे नहीं रहते हुए इस शर्मनाक घटना पर ऐसा ही बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि अगर ये विधायक सदन में पायजामा भी उतारते तो उन्हें ज्यादा अच्छा लगता।
आजम खान इस घटना के बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे। उनसे जब पत्रकारों ने इस घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'मर्यादा पर बहस इसलिए नहीं हो सकती कि संसद में जो कुछ हुआ वह भी मर्यादा के विपरीत था। आज जो आपने कपड़े उतारने वाली जो बात कही है, उसमें थोड़ा सा उनकी तरफ से तजुर्बा आधा रह गया।

Wednesday, February 12, 2014

आखिर स्टेडियम में सत्र कहां से न्यायोचित है?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को बयान दिया कि वह जनलोकपाल बिल को रिव्यू के लिए विधानसभा में नहीं बल्कि आम जनता की मौजूदगी में किसी स्टेडियम में पेश करेंगे।
दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। दिल्ली के उप राज्यपाल ने पब्लिक सेशन से विधायिका की गरिमा के नुकसान होने का हवाला दिया। लेकिन केजरीवाल ने किसी भी सलाह को मानने से इनकार कर दिया।
अब बुधवार को, दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा कि आखिर स्टेडियम में सत्र कहां से न्यायोचित है?

Sunday, February 9, 2014

केजरीवाल की पार्टी में हाल ही शामिल हुईं बिहार की पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह के दामन पर कई दाग

राजनीति में शुचिता और ईमानदारी की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल की पार्टी में हाल ही शामिल हुईं बिहार की पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्लाह के दामन पर कई दाग लगे हैं। जिस 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कोल ब्लॉक आवंटन में शामिल हर शख्स को केजरीवाल खुलेआम करप्ट या फिर चोर कहते हैं, ठीक उसी पैटर्न पर बिहार के 2जी घोटाले के नाम से मशहूर BIADA जमीन आवंटन मामले में परवीन अमानुल्लाह आरोपों के घेरे में रही हैं।
जिस वक्त परवीन मंत्री थीं, उस वक्त उनकी बेटी को करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव में अलॉट की गई थी। सिर्फ इतना ही नहीं, परवीन पर बदमिजाजी और खुलेआम रिश्वत मांगने के मुकदमे भी दर्ज हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि मामले का खुलासा होने पर हमने अक्सर लोगों को सवालों के घेरे में खड़ा करते रहने वाले आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने की बात करते हुए फोन काट दिया। अब सवाल उठने लगा है कि क्या दूसरी पार्टियों के दागदार नेता आप में शामिल होते ही पाक साफ हो जाते हैं। ध्यान रहे कि इस मामले एक पीआईएल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। यह पीआईएल नीतीश के पूर्व करीबी पी.के. सिन्हा ने दाखिल की है।
करीब 3 साल पहले बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी (BIADA) ने करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव नेताओं के रिश्तेदारों को अलॉट कर दी थी। इसको लेकर बिहार की राजनीति में जबरदस्त बवाल मचा था। कुछ लोगों ने इसे बिहार का 2जी घोटाला करार दिया था। मंत्री परवीन अमानुल्लाह की बेटी रहमत फातिमा अमानुल्लाह को भी 87,120 वर्ग फुट जमीन दी गई थी। करोड़ों की यह जमीन कौड़ियों के भाव पर दी गई थी। हालांकि, इसमें जिन लोगों को जमीन दी गई थी उनमें बड़ी संख्या में उस वक्त की नीतीश सरकार में शामिल नेताओं के नजदीकी रिश्तेदार शामिल थे। इसमें जेडीयू के साथ-साथ बीजेपी के भी कई नेता शामिल थे।

Friday, February 7, 2014

‘आप’ के आम आदमी

केजरीवाल का भ्रष्‍टाचार-विरोध मज़दूरों के लिए नहीं है!
केजरीवाल की राजनीति की पूरी बुनियाद भ्रष्‍टाचार-विरोध पर टिकी है। फिलहाल हम इस बुनियादी प्रश्‍न पर नहीं जाते कि पूँजीवाद को पूरी तरह भ्रष्‍टाचार-मुक्‍त किया ही नहीं जा सकता, कि पूँजीवाद स्‍वयं में ही भ्रष्‍टाचार है और यह कि जनता को भ्रष्‍टाचार-मुक्‍त पूँजीवाद नहीं, बल्कि पूँजीवाद-मुक्‍त राज और समाज चाहिए। भष्‍टाचार कितनी अधिक धनराशि का है, इससे अधिक अहम बात यह है कि किस भ्रष्‍टाचार से व्‍यापक आम आबादी का जीना मुहाल है! दिल्‍ली की साठ लाख मज़दूर आबादी का जीना मुहाल करने वाला भ्रष्‍टाचार है श्रम विभाग का भ्रष्‍टाचार। किसी भी फैक्‍ट्री या व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान में मज़दूरों को न्‍यूनतम मज़दूरी नहीं मिलती, काम के तय घण्‍टों से अधिक काम करना पड़ता है, ओवरटाइम तय से आधी दर पर मिलता है, कैजुअल मज़दूरों का मस्‍टर रोल नहीं मिंटेन होना, सैलरी स्लिप नहीं मिलती, पी.एफ. इ.एस.आई. की सुविधा नहीं मिलती, फैक्‍ट्री इंस्‍पेक्‍टर, लेबर इंस्‍पेक्‍टर आदि दौरा नहीं करते, कारखाने स्‍वास्‍थ्‍य, सुरक्षा और पर्यावरण के निर्धारित मानकों का पालन नहीं करते! तात्‍पर्य यह कि किसी भी श्रम कानूनों का पालन नहीं होता। यदि केजरीवाल वास्‍तव में भ्रष्‍टाचार से आम लोगों को होने वाली परेशानी से परेशान हैं, तो सबसे पहले उन्‍हें श्रम विभाग के भ्रष्‍टाचार को दूर करना चाहिए। मज़दूरों की यही माँग है।लेकिन मज़दूरों के प्रति केजरीवाल की सरकार का रवैया क्‍या है? डी.टी.सी. के 20हजार ठेका कर्मचारियों और 10हजार अस्‍थाई शिक्षकों के धरने और अनशन को हवाई आश्‍वासन की आड़ में नौकरी छीन लेने और दमन की धमकी से समाप्‍त कर दिया गया। वजीरपुर कारखाना यूनियन के मज़दूर जब अपनी माँगों को लेकर सचिवालय पहुँचे तो बैरिकेडिंग करके पुलिस खड़ी करके उन्‍हें मंत्री से मिलने से रोक दिया गया और दफ्तर में केवल उनका माँगपत्रक रिसीव कर लिया गया। केजरीवाल का जनता दरबार तो हवा हो ही गया, अब उनके मंत्री जनता से मिलते तक नहीं।

ये आपके आम आदमी हैं कौन? यूँ तो ऊपर भी विचित्र खिचड़ी है! केजरीवाल का एन.जी.ओ. गिरोह, किशन पटनायक धारा के समाजवादी योगेन्‍द्र यादव, राज नारायण धारा के समाजवादी आनंद कुमार, मंचीय नुक्‍कड़ कवि, घोर दखिणपंथी विचारों वाला कुमार विश्‍वास, ए.बी.वी.पी. से एन.एस.यू.आई. से भा.क.पा.(मा-ले) होते हुए यहाँ तक आये गोपाल राय तथा कमल मित्र शेनॉय, परिमल माया सुधाकर, बली सिंह चीमा, आतिशी मारलेना आदि-आदि भाँति-भाँति के, रंग-बिरंगे वामपंथियोंके साथ कैप्‍टन गोपी नाथ, नारायण मूर्ति और वी. बालाकृष्‍णन जैसे कारपोरेट शहंशाह। ऐसी लोकरंजक राजनीतिक खिंचड़ी का असली रंग और स्‍वाद तो ग्रासरूट स्‍तर पर पता चलता है। केजरीवाल को मध्‍यवर्गीय इलाकों में आर.डब्‍ल्‍यू.ए. खुशहाल मध्‍य वर्गीय जमातों, कारोबारियों और आई.टी. व्‍यापार प्रबंधन आदि पेशों में लगे उन युवाओं का समर्थन प्राप्‍त है, जो पारम्‍परिक तौर पर दक्षिणपंथी विचारों के और प्राय: भाजपा के वोट बैंक होते रहे हैं। लेकिन सबसे दिलचस्‍प दिल्‍ली की मज़दूर बस्तियों में देखने को मिलता है। वहाँ सारे छोटे कारखानेदारों, दुकानदारों, लेबर-कांट्रेक्‍टर के अतिरिक्‍त मज़दूरों को सूद पर पर पैसे देने वाले, कमेटी डालने वाले, मज़दूरों के रिहाइश वाले लॉजों-खोलियों और घरों के मालिक तथा प्रापर्टी डीलर और उनके चम्‍पुओं के गिरोह यही आम आदमी की टोपी पहनकर मज़दूर बस्‍तियों में घूम रहे हैं। पिछले एक माह के अभियान के दौरान हमलोगों ने इस नंगी-कुरूप सच्‍चाई को बहुत गहराई से महसूस किया और झेला। सिर्फ एक उदाहरण ही काफी होगा। बवाना चैम्‍बर ऑफ इण्‍डस्‍ट्रीजके चेयरमैन प्रकाशचंद जैन उत्‍तर-पश्चिमी दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी के एक अग्रणी नेता हैं। इनके साथ और भी कई फैक्‍ट्री मालिक, प्रॉपर्टी डीलर और ठेकदार हैं। कोई प्रकाश चन्‍द जैन से ही पूछे क्‍या उनके कारखानों में मज़दूरों को न्‍यूनतम वेतन, पी.एफ., ई.एस.आई. आदि दिया जाता है, क्‍या वहाँ श्रम कानूनों का पालन होता है? कमोबेश यही स्थिति दिल्‍ली के सभी औद्योगिक इलाकों और मज़दूर बस्तियों की है। इसके बावजूद, एन.जी.ओ.-सुधारवादियों और भाँति-भाँति के सामाजिक जनवादियों को तो छोड़ ही दें, आम आदमी पार्टी की झोली में यूँ ही जा टपकने वाले भावुकतावादी कम्‍युनिस्‍टों को अभी भी केजरीवाल की राजनीति का असली रंग नहीं दिख रहा है, तो निश्‍चय ही राजनीतिक काला मोतिया के चपेट में वे अंधे हो चुके हैं। या हो सकता है, वे पहले से ही अंधे रहे हों।आम जनता स्‍वराज और सड़क से सत्‍ता चलाने की रट लगाने वाले लोकरंजकातावादी मदारी अब सरकारी धोखाधड़ी और धमकी, पुलिसिया धौंसपट्टी और पार्टी कार्यकर्ताओं की दादागीरी का खुलकर सहारा ले रहे हैं। मज़दूरों की वर्ग दृष्टि एकदम साफ है। वह केजरीवाल के लोकरंजकतावाद की असलियत को अभी से समझने लगा है। वह कुछ कुलीनतावादी दिवालिये किताबी वामपंथियों की तरह मतिभ्रम-संभ्रम-दिग्‍भ्रम का शिकार नहीं है।कल 6 दिसम्‍बर को सचिवालय पहुँचकर दिल्‍ली के मज़दूर केजरीवाल की दहलीज पर याददिहानी की पहली दस्‍तक देंगे। यह अंत नहीं, महज एक नयी शुरुआत है।जो भी साथी दिल्‍ली के मेहनतकशों की इस आवाज के साथ है, वे भी कल उनके समर्थन में ज़रूर पहुँचें। कल ग्‍यारह बजे हम सभी राजघाट पर एकत्र होंगे और वहाँ से सचिवालय की ओर मार्च करेंगे

Tuesday, February 4, 2014

यह मोदी का क्रेज था या फिर राजनीतिक उत्सुकता।

 मोदी को सुनने मुसलिम समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में रैली में पहुंचे। जो रैली में नहीं पहुंच पाए उन्होने अपने घरों व दुकानों में टीवी के सामने बैठ मोदी के भाषण को बड़े ध्यान से सुना। मोदी के भाषण के बाद से मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में उनके भाषण पर चर्चा शुरू हो गई। मोदी के रैली में बोले गए हर बोल को तोला जाने लगा। 
मोदी की यहां हुई विजय शंखनाद रैल को हुए 24 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है। लेकिन मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में अब भी उनके भाषण को लेकर चर्चा जारी है। लिसाड़ी गेट निवासी सलीम बताते हैं कि जिस समय मोदी रैली में अपना भाषण दे रहे थे, शहर के मुस्लिम वर्ग के लोग भी अपने टीवी के सामने बैठ कर उनका भाषण बड़े ध्यान से सुन रहे थे। पूरे भाषण के दौरान मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र के मोहल्ले व बाजार खाली नजर आए। भाषण समाप्त होने के बाद लोगों ने घर से बाहर निकल कर उस पर चर्चा शुरू कर दी। मुसलमानों की नुमाइंदगी करने वाले एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों की तरफ से मोदी के द्वारा रैली में बोले गए हर शब्द की व्याखा बड़ी बारीकी से की गई है। इस बात के पीछे उनकी मंशा यह जानने की है कि अल्पसंख्यकों के बीच अन्य पार्टियों की तरफ से मोदी का जो खौफ दिखाया जा रहा है वह कहां तक सच है। वे यह जानना चाहते थे कि इस तथ्य के पीछे कुछ सचाई है या फिर यह अन्य दलों का राजनीतिक खेल है। गौरतलब है कि रविवार को माधवकुंज शताब्दीनगर में नरेन्द्र मोदी की विजय शंखनाद रैली में 14 संसदीय क्षेत्र से उनके समर्थक आए थे। बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष का दावा है कि रैली में मेरठ के अलावा गाजियाबाद, सहारनपुर, हापुड़, गढ़मुक्तेशवर व बागपत से भी मुसलमान आए थे। इनको रैली में आगे स्थान नहीं मिल पाया तो उन्होने पीछे खड़े होकर ही मोदी का भाषण सुना था।